PAAS RAHIYE HAMESHA

जिन्हें पास होना चाहिए वह दूर रहते हैं,
हम सब इन्सान क्यूं इतना मजबूर रहते हैं?

इधर से ही सबको गुजरना है एक दिन,
पर अभी दूर हैं तो हम सब मगरुर रहते हैं।

शबाब है, पैसा है, कामयाबी भी कदम चूमती है,
आंखों में किस किस तरह के सरूर रहते हैं।

कहते हैं हम भी कुछ हैं, कुछ नाम है हमारा,
वरना ऐसे तो न हम इतने मशहूर रहते हैं।

ऐसे में किस को इसका होता है एहसास,
एक दिन सारे ख्वाब सारे मनसूबे चूर रहते हैं।

जिन्होंने इस राज़ को समझ लिया, रवि,
वो खुदा की पनाह में ज़रूर रहते हैं।

शुक्र है खुदा तेरा, जिस हाल में भी हम रहें,
तेरे इरादों से हम हमेशा मंज़ूर रहते हैं।

शुभ प्रभात

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #59 – LONG LIVE INDIAN FREEDOM

मच्छर, मक्खी और चूहों की हुई इमरजेंसी कॉन्फ्रेंस,
स्वच्छ भारत का मोदी कर रहे हैं इंतज़ाम।
अगर हिन्दुस्तानियों को आ गई यह सिविक सेंस,
तो हम सब का तो हो जाएगा काम तमाम।

हर साल देश वासियों की insect welfare स्कीम से,
हमारी तादाद बढ़ती ही जा रही है,
डाक्टर और कैमिस्ट बहुत खुश हैं इस सोशल थीम से,
उनकी झोली में और इनकम आ रही है।

उनकी दयालुता से हम बहुत मुत्मइन हैं,
गंदगी फैलाने वाले इंडियन हमारे हैं अन्नदाता।
कचरा फैंकने, खुले में संडास में वह इतने लीन हैं,
हमारे काबीले के सब कीड़े मकोड़ों का गुज़ारा हो जाता।

अगर मोदी इस में कहीं हो गए कामयाब,
तो हम सब लोग कहीं के न रहेंगे।
कुछ करने के लिए मोदी बहुत हैं बेताब,
उनकी बेरहमी हम सह नहीं सकेंगे।

इतने में एक चूहा, बड़ा और होशियार,
उठा अपनी राए सुनाने के लिए।
मोदी की किसी स्कीम को opposition न होने देगी कामयाब,
और देशवासी नहीं हैं देश बनाने के लिए।

कूड़ा करकट फैंकना उनकी आज़ादी का है निशान,
एक मोदी क्या करेगा बेचारा?
बरसों बाद हम जरासीम बने रहेंगे सुल्तान,
हिन्दुस्तानियों का हमको बहुत है सहारा।

कई साल बाद वह चूहा साबित हुआ ठीक,
भारत कभी भी स्वच्छ ना हो पाया।
इंडियंस कीड़े मकोड़ों में हैं शरीक,
जोर से सब ने मिलके यह नारा लगाया:

“हमने पाई है ऐसी आज़ादी,
बढ़ती जा रही है हमारी आबादी।”

लॉन्ग लिव इंडियन फ़्रीडम!

YEH BHI MANN KI BAAT

राह तो बिल्कुल सीधी है,
मोड़ तो सारे मन के हैं।
कशमकश हमारे अंदर है,
हर तरफ इरादे अमन के हैं।

आंखे देखती हैं ख़ाक ओ ज़मीन,
पर दिलकश फूल चमन के हैं।
उदास और तन्हा क्यूं रहते हो,
जब सारे आसार मिलन के हैं?

मरने की बातें न करो कभी,
जब रंग ओ नूर जीवन के हैं।
मायूस अंधेरे में क्यूं रहते हो,
उजाले सूरज की किरण के हैं?

ऐसे तो दिल छोटा न करो,
सब फल तुम्हारी लगन के हैं।
आंखें बंद करके झुक के देखो,
हर क्षण प्रभु के सिमरन के हैं।

कितना कुछ दिया है रब्ब ने,
फ़िर क्यूं ये पल उलझन के हैं?
गर मन ही हमें उदास बनाए,
तो खुशी के लम्हे भी मन के हैं।

शुभ प्रभात।

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #58 – SWAMI HANUMAN SINGH JI

पांचवी जमात में वह हुआ था फेल,
और क्रिकेट में भी वह न था माहिर।
नेताओं के साथ भी उसका न था मेल,
चारों ओर उसकी नाकामी थी ज़ाहिर।

वालदेन उसके बारे में थे परेशान,
क्या करेगा हमारा निकम्मा बच्चा?
रब्ब ने कैसी घटिया दी हमें सन्तान,
न ही होता पैदा तो होता अच्छा।

दारू पी पी के उनका हनुमान हुआ था तंग,
करने जा रहा था खुद कुशी।
फ़िर उसको स्वामी बनने का आ गया ढंग,
और मायूसी उसकी बन गई खुशी।

भगवे कपड़े पहन के वह एक दिन,
बैठ गया गाओं के पीपल के नीचे।
माला के मनके वह करने लगा गिन,
और लोग लग गए उसके पीछे।

हिन्दुस्तानी रहते हैं हर तरफ से सताए,
आख़री आस उनकी रहती है भगवान।
वह तो आता नहीं कभी उनके बुलाए,
पर ऐसे साधू जल्द ही बन जाते हैं महान।

सिर्फ उनको यह कहना है लोगों से।
जो वह सुनने की लिए हैं आए।
इस राख से छुटकारा मिलेगा सब रोगों से,
अपने माथे पे इसे रखिए लगाए।

चढ़ावा फ़िर आना हो जाएगा शुरू,
दूध मिलेगा और लड्डू देसी घी के।
उनके सामने बने रहो गुरु,
और रात को सोयो दारू पी के।

बस ऐसी ऐसी करो कुछ बातें,
जिनका कोई भी न हो मतलब।
आनंद में बीतेंगे दिन और रातें।
लोग धीरे धीरे तुम्हें समझेंगे रब्ब।

हनुमान सिंग को दूर दूर से लोग,
उनके दर्शन के लिए आते हैं,
नेता, क्रिकेटर और वालदेन भी अपना रोग,
स्वामी जी से ही दूर कराते हैं।

जो उनको कहते थे निकम्मा,
अब मानते हैं सब से सियाना।
सबसे खुश हैं उनके अब्बा और अम्मा,
स्वामी जी से हमें भी मिलाना।

एक दो कभी जेल चले जाते हैं,
बाकियों की पांचों उंगलियां हैं घी में।
ठीक है लोग उनसे कुछ नहीं पाते हैं,
पर उनकी ज़िन्दगी गुज़र जाती है फ़्री में।

RABB KI REHMAT KO PEHCHAAN

मुश्किलें आती हैं बनने के लिए आसान,
क्यूं होता है बंदे तू इतना परेशान?

जब भी तू उनको हल करने की करे कोशिश,
तेरे पास नज़र आएंगे तुझे तेरे भगवान।

तुझे लगती हैं मुश्किलें इस वजह से,
क्यूंकि खुदा के तरीकों से तू है अनजान।

जब उसकी समझ तुझे आ जाएगी,
तुझ में आ जाएगी नई एक जान।

तेरे प्यार, मज़हब और ऐतबार का,
यही तो है छोटा सा इम्तिहान।

जो कुछ मिले रह उस की बंदगी में,
मान के उसको रब्ब का वरदान।

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #57 – DOCTOR AUR ZUKAAM

डॉक्टर के पास गए हम, हमें हो गया था ज़ुकाम,
कहा ठीक वक़्त पे आ गए नहीं तो सही न होता अंजाम।

पहले MRI करवायो फ़िर देखते हैं CT Scan,
Blood और urine टेस्ट करवाओ नहीं तो काम हो जाएगा तमाम।

Chest X Ray और Ultra Sound की तो बहुत ज़रूरत है,
यह न हो कुछ ही दिनों में हो जाए आपकी राम राम।

Test result जब तक नहीं आते यह चंद दवाइयां लिख रहा हूं,
इनको खाना दोपहर और रात, सुबह और शाम।

ढाई लाख का खर्चा और सात दिन के tests के बाद*,
मेरे जुकाम को धीरे धीरे आ गया आराम।

इतने खर्चे के बाद मेरे दिमाग की घंटी बजने लगी,
अगली बार जब हुआ जुकाम, नाक और छाती पे मला balm.

डॉक्टर से बचना उतना ज़रूरी जितना बीमारी से है,
उतने test लिख देगा वह, जितना बड़ा है उसका नाम।

डॉक्टर ने देखा तो सात दिन में, नहीं तो एक हफ्ता लगेगा,
Common Cold और जुकाम का यही तो है अंजाम।

 

*Based on true story.

HAM KUCHH KAREN YA SIRF SARKAR KAREGI?

सांस सांस को तरसते हैं जो रहते हैं दिल्ली राजधानी,
इस दहशत में नहीं हैं शामिल जेहादी या पाकिस्तानी।

हम अपने ही दुश्मन हैं और सदियों से रहे हैं,
मुगलों की हमने परख करके पृथ्वीराज को याद दिलाई नानी।

गाड़ियां हम इस तरह चलाते हैं, रोज़ सैकड़ों मरते हैं,
हर जगह करते हैं निधड़क अपनी ही मनमानी।

एक नेता सारा भारत स्वच्छ क्यूं नहीं कर सकता?
हमने तो कचरा हर जगह फैंकने की है पूरी ठानी।

साफ़ और तंदरुस्त ज़िन्दगी के लिए गैर मुल्की देश जाते हैं,
मगरुर हो के यह कहते हैं फिर भी दिल है हिंदुस्तानी।

रफ्ता रफ्ता सारे शहर हमारे रहने के लायक नहीं रहे,
गीत बनाते हैं यह गैर मुल्कों की है शैतानी।

तहजीब से हम सब मिल के इतराते हैं,
हिन्दुस्तान आज़ाद है और हम सब हैं हिन्दुस्तानी।

सारे जहां से अच्छा हम बनना चाहते थे,
कहां गलत हम हो गए यह है मुल्क की पशेमानी।

अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा, थोड़ा सा नज़म ओ ज़ब्त लाइए,
नहीं तो कहां हम पहुंचे हैं, कुछ तो हो हैरानी।

जिस मुल्क में सांस लेना ही मुश्किल हो गया हो,
किस किस को सुनाएंगे उस मुल्क की परेशानी?

शुभ प्रभात।

“Hunooz Dilli door ast” – thank God!

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #56 – SMARTPHONE SE BHI SMART

स्मार्ट फोन लेने मैं गया मोबाइल दुकान से,
क्या चाहिए यह नहीं निकल रहा था ज़ुबान से।
फ़िर कहा, “ऐसा दिखाइए जो मुझसे स्मार्टनेस न दिखाए।”
अपना काम मुझे करने दे इत्मीनान से।

Applications ऐसी न हों जो मुझे कठपुतली बना दें।
हर वक़्त यह करो वह करो, हां करे, मना करे।
जो कुछ फ़ोन करे, कुछ तो मेरे कंट्रोल में हो।
आधे से ज़्यादा processes वह न मेरे बिना करे।

बार बार मुझे न बोले यह करो अब download,
आम तौर पे ऑपरेट करे यह in silent mode.
Update कर कर के मुझे और कुछ करने न दे।
बार बार मुझसे न मांगे पासवर्ड या पासकोड।

वीडियो और images download कर के out of memory न चला जाए।
मेरे कुछ गलत करने पे मुझे आंख न दिखाए।
कई चीजें मुझसे ही छिपा के या डिलीट कर देने से,
मेरा ही होके बार बार मुझे ही न डराए।

कई कई हफ्ते बैटरी चार्ज करने की न हो ज़रूरत,
गिर भी अगर जाए तो स्क्रीन न लगे बदसूरत।
Samsung या Apple के लोगो नहीं चाहिए हमें,
कितना अच्छा हो अगर पीछे भगवान श्री कृष्ण की हो मूरत?

सेल्समैन मुझे हड़बड़ा के कोने में ले आया,
दो डिब्बों को एक धागे से उसने बंधाया।
एक उसने मेरे कान में और दूसरा अपने मूंह में लगाया।
दूर से बोला: “सर, अब कुछ समझ में आया?”

मुझे उसकी हरकत बिल्कुल न अाई पसंद,
लेकिन वह मुस्कराता रहा मंद मंद।
स्मार्ट फोन से भी बढ़कर ऐसे स्मार्ट salesmen हों अगर,
Samsung और Apple वालों का बिजनेस हो जाएगा बन्द।

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #55 – DAR KE AAGE JEET

एक ज़माना था जब हमें लगता था डर,
रात को पर्दा हिले तो हम देखते थे इधर उधर।

सांप के बारे सोच के तो जान निकल जाती थी,
कब कहीं पास में आके वह कर दे फर्र फर्र।

भूत प्रेत पर हालांकि मैं नहीं करता था यकीन,
फ़िर भी सोचता था क्या होगा मिल जाए कहीं अगर।

शेर चीते और हाथी का इतना खौफ रहता था,
कि यह हम आदमियों को खाते होंगें पेट भर।

क्लास में अपने उस्तादों से तो मैं यूं डरता था,
कि यह कच्चा चबा जाएंगे मेरी नादानियों पर।

पुलिस, नेताओं और बाबुओं से मैं इसलिए डरता था,
रिशवत लेने के लिए ही बने हैं ये हम सबके लीडर।

और बहुत से डर थे जिन्हें बयान करना है मुश्किल,
एक तरह से ज़िंदा था, और एक तरह से गया था मर।

फ़िर एक दिन, यारो, मेरी शादी हो गई,
अब उसके मुकाबले में कोई और नहीं है डर।

उसका अपना खौफ कुछ इतना बुलंद है,
उसके सामने सारे डर कांपते हैं थर्र थर।

हम सबको यारो बीवी बना देती हैं,
अपने लिए चूहा पर औरों के लिए निडर।

JEETE JI TAREEF KE DO AKSHAR…

ज़रा सोचिए किसी के हुनर की कभी आपने दी है दाद,
या फ़िर आपने समझा है इस से वक़्त होता है बरबाद।

अपनी मेहनत की तारीफ़ पैसे मिलने से भी ज़्यादा है,
ऐसे लगता है किसी ने सुन ली हो हमारी फरियाद।

कई बार हमारी खुदी दूसरों के लिए यह करने नहीं देती,
हम हैं तो हम समझते हैं सारी दुनिया है आबाद।

कदर करना दूसरों की और उनके शुक्रगुजार बनना,
खुश रखता है उनको, नहीं तो हो जाते हैं नशाद।

दूसरों की हर वक़्त हम बुराइयां ढूंढते हैं,
उनके जाने के बाद फ़िर आती है उनकी याद।

क्यों ना किसी की कदर दानी उनके जीते जी हम करें,
उनको और अपने आप को करें बद दुआ से आज़ाद।

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #54 – ALGEBRA KA X

याद आती है algebra की वह क्लास जहां X का हो रहा था ज़िक्र,
सब सिर खुरचने में लगे थे, X की value का था सबको फ़िक्र।

Algebra की दिलचस्पी इतनी बढ़ गई, हमने नए करतब दिखलाए,
सोचा न समझा बस संगम टॉकीज में Mr X In Bombay देख के आए।

पिताजी को जब चला पता ऊंचाई पे पहुंचा उनका पारा,
हमने कहा X की खोज में जाना पड़ेगा वहां दोबारा।

और कहा हमने जब कुमकुम और किशोर को न चला पता,
तो X कहां है क्या value है, यह नहीं हो सकती हमारी खता।

पिताजी बहुत प्रैक्टिकल आदमी थे, चौंके नहीं हमारी बातों से,
हर मसले को हल करते थे, अपने पैरों से और हाथों से।

उनकी प्रैक्टिकल तजवीज से बहुत से X नज़र आने लगे।
पिताजी की तुलना में हमें algebra के उस्ताद सुहाने लगे।

हाथ पैर जब डैडी ने दिखाए, हम तो पूरी तरह गए घबरा,
संगम टॉकीज में दोबारा हम सीखने नहीं गए algebra.

KAYI ADAKAR, EK KAHANI

हर किसी की कोई न कोई होती है कहानी,
हर झोले में यादें नज़र आती हैं पुरानी।

क्या क्या महल हमने बनाए हैं,
कोई राजा बना कोई बनी है रानी।

सारे जज्बे हर एक ने किए हैं महसूस,
हर एक इन्सान रहा है फानि।

किसी के तजरुबे कुछ ऐसे अलग नहीं,
हर दरिया से गुज़रा है हर तरह का पानी।

फिर भी यह एक अजब हकीकत है,
बेमिसाल होने की है हर एक ने ठानी।

ज़माने आए और बीत गए एक जैसे,
पर हम फ़िर भी करते रहे नादानी।

हर किसी की लगती है नई कहानी,
हर झोले में यादें नज़र आती हैं पुरानी।

शुभ प्रभात

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #53 – ‘LIKEABLE’ READER

उन्होंने react किया मेरी पोस्ट पे,
वरना इतने तो काबिल नहीं थे हम।
उनकी लव वाली emoji देख के,
कहीं निकल न जाए मेरा दम।

दूसरों की पोस्ट पे तो वह comment करती हैं,
पर उससे हम नहीं होते बदगुमान।
हम तो सिर्फ emoji के लायक हैं,
कहां वो और हम हैं कहां?

वैसे जब वह अपना पोस्ट करती हैं,
फोन लगा के करती हैं request:
“भैया, like करके न छोड़ देना,
Your comment is the best.”

हम घंटो सोच के कुछ लिखते हैं,
वह like करके बजाती हैं ताली।
और पूरा का पूरा Comment Box,
नज़र आता है बिल्कुल ख़ाली।

एक दिन तो मेरी दस पोस्ट पे,
बीस सैकंड में उन्होंने किया like,
ऐसे लगता था जैसे LOC के पार,
Commandoes ने की हो सर्जिकल स्ट्राइक।

ख़ैर प्यारी बहिन है मेरी,
कभी तो करेगी मेरी पोस्ट पे comment,
ख़ास करके क्यूंकि एक ड्राफ्ट कॉमेंट,
मैंने ही उसको दिया है sent.

PAON ZAMEEN PAR

पहुंचने के बाद कभी न भूलें कहां से आप हैं आए,
आज अगर दिलशाद दिन हैं कल मुश्किलों के थे साए।

आपकी कामयाबी देख के चाहने वाले बहुत हैं अब,
हरदम आपको याद रहे जब अपने भी होते थे पराए।

बहुत दिया है देने वाले ने, न करना उसे बर्बाद,
सोच के रखना उन पलों को आंख में थे आंसू भर आए।

इस से हरदम आपके पांव ज़मीन पे रहेंगे मजबूत,
तब भी जब किस्मत के सितारे हों जगमगाए।

देने वाला ले भी सकता है सदा रहे हमें यह याद,
जिन्हें यह सच भूल गया वो दोबारा फिर संभल न पाए।

ज़िन्दगी में बन के रहिए, हमेशा मस्कीन ओ बा अजमत,
कौन जाने किस जगह वक़्त हमें क्या क्या सिखलाए?

हर हालत में हमें रखना, मालिक, आपका होके शुक्रगुजार,
जो भी मिले हम रहें उसे, सर आंखों पे लिए उठाए।

शुभ प्रभात

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #52 – PATAKHE BHI BAND AUR PHOOLJHADI BHI

कहते हैं दिवाली में पटाखे अब कर दिए हैं बंद,
अब वह बन संवर के नहीं निकल सकती।
पटाखा क्या सब लड़के उसे कहते थे बम,
उसकी चुनरिया मुश्किल से थी उसे ढकती।

उसके एक बार गली से गुजरने से,
जैसे लाख बड़े बम गए हों फूट।
जब वह किसी और से गुफ्तुगु करती थी,
लगता था राजधानी एक्सप्रेस गई हो झूट।

जब वह पिंक स्कूटी पे कहीं जाती थी,
लोग जलते थे स्कूटी की किस्मत से।
हेलमेट से आज़ाद होके जुल्फें लहराती थीं,
जैसे घटाएं हों उसकी खिदमत में।

दिल थाम के लड़के रहते थे इंतज़ार में,
स्कूटी की उनकी साइकिल से हो जाए टक्कर।
आम तौर पे यही होता है प्यार में,
जब शुरू होता है प्रेमियों का चक्कर।

कोक पिला के और उसको हैमबर्गर खिला के,
लड़के करते रहे उसका मोबाइल भी चार्ज।
कई कई तो उसके लिए लहंगा चोली सिला के,
अपना मासिक बिल बनाते रहे लार्ज।

फ़िर एक रोज़ वह अपने शौहर के संग,
उसी स्कूटी पे निकली वहां से।
दीवानों का चेहरे से उतर गया रंग।
जैसे मारे गए हों दोनों जहां से।

एक ने कहा ठीक किया है सरकार ने,
जो पटाखे कर दिए हैं गैर कानूनी।
हमारा बम चुराया है इक गंवार ने,
अब तो अपनी ही गली लगती है सूनी।

बैन करवा दो फुलझड़ी भी,
और बंद करवा दो हर तरह के अनार।
हमें तो याद है वो घड़ी भी,
जब एक थी अनार और सौ बीमार।

Follow

Get every new post delivered to your Inbox

Join other followers:

error

Enjoy this blog? Please spread the word :)

RSS
Follow by Email
YouTube
YouTube
Set Youtube Channel ID
LinkedIn
Share
WhatsApp
Copy link
URL has been copied successfully!