Thanking my parents on my birthday:
अपने जन्मदिन पे हमेशा मां बाप का आता है ख्याल,
वह न होते तो पैदा होने का न उठता कोई सवाल।
डैडी के सामने ज़ुबान न कभी खुलती थी हमारी,
और सर उठा के आंख मिलाने की न हुई कभी मजाल।
डांट खा खा के सहमे सहमे रहते थे हम,
उनके कुछ पूछने से अक्सर गाल हो जाते थे लाल।
“चल काका, तेरी स्कूल रिपोर्ट डिस्कस करिए” कहने पे,
आधा घंटा ऐसे बीतता था जैसे बीता हो पूरा साल।
“सिम्पल लिविंग, हाई थिंकिंग” के लेक्चर सुन सुन के,
हर वक्त बिगड़े रहते थे अपनी ज़िन्दगी के हाल।
पिक्चर देखते और “ऐसी आयाशियां” करते गर पकड़े जाते,
अगले कई दिनों नाज़ुक हो जाती थी हमारी चाल।
मुझे याद है कैसा रॉकेट बना था उस रोज़ मैं,
जब डैडी को पता चला कटवा लिए हैं मैंने बाल।
वैसे भी डैडी की टेंपरेचर क्या खूब हुआ करती थी,
इस पल ठंडी है और अगले पल आ जाता था उबाल।
मुझ से उम्मीदों के इल्म कुछ इतने ऊपर रखे जाते थे,
के हर इम्तिहान में जैसे दस फुट ऊंची हो मेरी उछाल।
पर उनके प्यार और इखलास पे शक़ नहीं हुआ कभी,
ज़िन्दगी के जंग में वही तो थे मेरी तलवार और ढाल।
उनके गुस्से से, हिदायत और तहजीब से ज़िन्दगी बन गई मेरी,
जहां मैं पहुंचा हूं उनके बगैर सब कुछ होता मुहाल।
इसलिए मेरे जन्मदिन की आप दोनों को हो बधाई,
मगरूर हूं मैं आपकी नस्ल ही नहीं, आपकी रहा हूं संभाल।
शुक्रगुजार हूं आपने मुझे वह बनाया जो मैं हूं और रहा हूं,
एहसानमंद हूं ज़िन्दगी का एक और मिला है साल।