दिलों के रिश्ते ख़ून के रिश्तों से भी होते हैं मज़बूत।
कानूनी कागज़ पे लिख के वो नहीं हैं मांगते सबूत।
वैसे सब रिश्ते इन्सान ने खुद बा खुद बनाए हैं,
उनकी बुनियाद क्या है कहां से वो होके आए हैैं?
प्यार से ऊंचा कोई किसी का हो नहीं सकता,
इस बन्धन में कोई किसी को खो नहीं सकता।
न तो शक न बदगुमानी मंडराते हैं इस के करीब,
न यह पूछता है कौन अमीर है और कौन है गरीब।
हमने देखी है भाई भाई, शोहर बीवी, बाप बच्चों में दुश्मनी,
लेकिन दिलों के रिश्तों में ऐसी कभी कहीं नहीं सुनी।
इन्सान का इन्सान से दिलों का रिश्ता होना चाहिए,
सारे ये फूल हैं इन्हें इक धागे में पिरोना चाहिए।
शुभ प्रभात।