एक तरफ है अपना मुकद्दर,
एक तरफ है कड़ी मेहनत।
जो खून पसीना एक करते हैं,
उनको मिलती है रब्ब की रहमत।
कहते हैं जब ऊपर वाला देता है,
तो देता है वह फाड़ के छप्पड़।
लेकिन जो मेहनत से इतराता है,
भगवान उसको भी देता है थप्पड़।
ठीक है किस्मत दी है खुदा ने,
पर मेहनती लोग हैं उसके क़रीब।
वह भी अमीर बन सकता है,
जो पैदा हुआ था बिल्कुल गरीब।
मुकद्दर भी उनका देता है साथ,
जो बदल दें हाथों की लकीरें।
तारीखी में हमने कई देखें हैं,
तोड़ी हैं जिन्होंने पैरों की जंजीरें।
ना फटकारिए अपने नसीब को,
बैठिए न हाथ पे धर के हाथ।
मेहनत करिए और एहसास यह होगा,
भगवान भी चलेंगे आप के साथ।
देखिए ख्वाब सुनहरे ओ सुहाने,
लेकिन ख्वाब तो ख्वाब रहेंगे।
जब तक तदबीर की बात न माने,
तकदीर के दिन भी ख़राब रहेगें।
शुभ प्रभात।