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PHIR BARSAAT CHALI AAYI
आज फिर भीगने का दिल करता है बरसात में, कुछ शोख़ हवा चली है सुहानी रात में I यादों की बूंदे दिल के आँगन में गिर रही हैं, और दस्तक दे रही हैं देहलीज़-ऐ-जज़्बात पे I मेरे रूखे जहान पे सावन को भी तरस आ गय…