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SULAGTE AANSU
वो लौटा रहें हैं मेरा सामान, और जला रहे हैं सब कुछ, मेरी आरज़ू है सितमगर मेरे अश्क भी जला दें ताके दिल के समुन्दर में वो तूफ़ान फिर ना उभरे; जो मरहले खड़े थे उन्हें ठोकर से मिटा दें काश हम ना होते वो …